
Zojila pass tunnel: इंडिया में कई अजूबे प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है ऐसा ही प्रोजेक्ट Zojila pass tunnel है, जो इंडिया में बन रही है। यह एशिया की सबसे लम्बी टनल होगी। अभी तक इतनी लम्बी टनल एशिया के किसी देश में नहीं है। यह टनल जम्मू कश्मीर और लेह-लद्दाख के बीच बनाई जा रही है। इस टनल के बनने से 12 महीने और हर मौसम में लेह-लद्दाख जाया जा सकेगा। अभी सर्दियों के मौसम में स्नो फॉल की वजह से जम्मू कश्मीर से लेह लद्दाख जाने वाला रास्ता 6 महीने के लिए बंद हो जाता है।
अभी जो रास्ता जम्मू कश्मीर से लेह लद्दाख के लिए जाता है वह यह रास्ता ज़ोजिला दर्रा (पास) से होते हुए जाता है, अब जोजिला दर्रा पर ही टनल बनाई जा रही है। इस टनल की लम्बाई करीब 14.5 km होगी और 3. 5 km रोड होगी। इस प्रोजेक्ट की कुल लम्बाई 18 km है। रोड बनाने का काफी काम पूरा कर लिया गया है, जबकि टनल 2026 में बनकर तैयार हो जाएगी, जिस प दिन रात काम चल रहा है।
लेकिन इस प्रोजेक्ट ऑफिसर्स का कहना है कि वे इस टनल को 2026 से काफी पहले पूरा कर लेंगे। कश्मीर और लद्दाख दोनों तरफ से इस टनल को बनाने का काम दिन रात चल रहा है। इस सुरंग के बनने से श्रीनगर से लेह के रास्ते पर अब बर्फबारी से जो रास्ता बंद हो जाता था उसकी चिंता खत्म हो जाएगी।
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आखिर क्यों जरूरत पड़ी zojila tunnel बनाने की
zojila pass tunnel
zojila tunnel project
zojila tunnel connects
जैसा की हमने आपको बताया कि यह टनल जोजिला पास (दर्रा) पर बनाई जा रही है। जोजिला दर्रा करीब 11,500 फ़ीट की ऊंचाई पर श्रीनगर-कारगिल- लेह हाईवे पर स्थित है। कश्मीर से लद्दाख जाने का यह एकमात्र रास्ता है सर्दियों में यह रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाता है और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लद्दाख पूरे देश से कट जाता है। जोजिला दर्रा कारगिल से भी बहुत पास है। कारगिल युद्ध का सभी को पता है और लद्दाख में भी चीन की करतूत किसी से छिपी नहीं है।
ऐसे में ऐसे रास्ते की जरूरत थी, जिससे लेह-लद्दाख साल भर और हर मौसम में शेष भारत से जुड़ा रहे। इसलिए jojila surang का निर्माण किया जा रहा है। जोजिला टनल बनने से श्रीनगर, कारगिल,लेह-लद्दाख के इलाके हर मौसम में आपस में जुड़े रहेंगे। हिमाचल प्रदेश में बनाई गयी अटल टनल करीब 10 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई और 9 km लम्बी है।
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zojila tunnel से जुड़ी इन बातों को जान लीजिये
zojila tunnel project
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Zojila pass tunnel
1999 में हुए कारगिल वॉर के बाद जोजिला टनल बनाने का विचार आया। 2005 में jojila surang बनाने का विचार आगे बढ़ाया गया। 2013 में इस टनल की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की गयी। 2013 में कैबिनेट ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। 2017 टनल बनाने के लिए चार प्राइवेट कंपनियों एलएंडटी, आईएलएफएस, जेपी इंफ्राटेक और रिलायंस इंफ्रा ने बोली लगाई और आईएलएफएस को इसका ठेका मिला, लेकिन आईएलएफएस क्राइसिस की वजह से काम आगे नहीं बढ़ सका।
2020 में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को टनल बनाने का काम मिला, तब से यह कंपनी इस टनल बनाने के काम में लगी हुई है। इस टनल के बनने से न सिर्फ आम लोगों को फायदा मिलेगा बल्कि सेना को भी फायदा मिलेगा क्योंकि तब कारगिल से लद्दाख तक वर्ष भर उनका आवागमन संभव बना रहेगा। इस टनल के बनने से इंडियन आर्मी बिना किसी परेशानी के बॉर्डर तक आ जा सकेगी।
जोजिला सुरंग बनाने पर 4,899 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है। इस सुरंग के बनने से जम्मू कश्मीर में चौतरफा आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक समन्वय हो सकेगा। इस परियोजना के तहत जोजिला दर्रे पर करीब 3,000 मीटर की ऊंचाई पर 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनायी जाएगी। जोजिला सुरंग परियोजना से करगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की 30 साल की मांग पूरी होगी। इस टनल के साथ अप्रोच रोड पर भी 2 छोटी टनल बन रही हैं, जिनका 50 परसेंट काम पूरा हो चुका है।
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zojila tunnel बनने से 3. 5 घंटे का समय 15 मिनट में पूरा होगा
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इस टनल के बनने से श्रीनगर से लेह के बीच का सफर तीन घंटे से घटकर अब सिर्फ 15 मिनट का रह जाएगा। ज़ोजिला टनल जहां बनाई जा रही है, वह कारगिल जिले में पड़ती है, अभी जोजिला दर्रे की जाने वाला रास्ता कच्चा है और बहुत छोटा है, यहाँ ट्रैफिक जाम और लैंडस्लाइड बहुत कॉमन है। अभी कश्मीर से लद्दाख जाने के लिए जोजिला दर्रे से होते हुए जाते हैं। कश्मीर के सोनमर्ग से इसकी दर्रे की दूरी 24 km है। सोनमर्ग से लेह की दूरी 345 km है और सोनमर्ग से कारगिल 119 km दूर है। यह दूरी काफी कम हो जाएगी। सोनमर्ग से ज़ोजिला की तरफ जाते हुए पहला चेकपोस्ट बालटाल पड़ता है, यही से ज़ोजिला दर्रे की चढ़ाई शुरू हो जाती है। बालटाल से 4 km दूर ज़ोजिला जाते हुए अमरनाथ बेस कैंप भी पड़ता है।
1948 में ज़ोजिला पर पाकिस्तानी कबीलाई लोगों ने कब्ज़ा कर लिया था
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जिस जगह zojila tunnel बनाई जा रही है उस जगह पर 1948 में पाकिस्तानी कबीलाई लोगों ने कब्जा कर लिया था। फिर इंडियन आर्मी ने ज़ोजिला पहुंच कर इस दर्रे से पाकिस्तानियों को खदेड़ा था। इंडियन आर्मी 11,500 की ऊंचाई पर टैंक और तोप लेकर पहुँच गयी थी, ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई फाॅर्स इतनी उंचाई पर टैंक और तोप लेकर गयी हो। यहाँ आर्मी का वॉर मेमोरियल भी है। अब इसी दर्रे पर एशिया की सबसे ऊँची टनल बन रही है। इससे लेह लद्दाख और कश्मीर की इकॉनमी और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
शॉर्ट में zojila tunnel (सुरंग) की जानकारी
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–यह सिंगल ट्यूब टनल (सुरंग) होगी, इसमें 2 लेन बनाई जाएँगी, एक लेन जाने के लिए और एक लेन आने के लिए होगी।
-इस टनल में व्हीकल्स की स्पीड 80 kmph रखी जाएगी।
– इस प्रोजेक्ट के तहत 14.5 km लम्बी सुरंग होगी और अप्रोच रोड की लम्बाई 18.63 km होगी।
– इस परियोजना की कुल लम्बाई 32.78 है।
– इस प्रोजेक्ट को इस तरह से तैयार किया जा रहा है की रोड सेफ्टी रहे और किसी तरह के बर्फीले तूफ़ान में भी किसी को आने जाने में परेशानी न हो।
– सुरंग के दोनों तरफ साइड वाक की जगह होगी। इमरजेंसी कॉल करने की सुविधा भी होगी।
-पानी की निकासी की व्यवस्था भी होगी।
– फायर अलार्म भी लगाएं जायेंगे।
-jojila surang में लाइट की भी पर्याप्त व्यवस्था होगी।
– सुरंग में CCTV लगाए जायेंगे।
– ट्रैफिक को कण्ट्रोल करने के लिए सेंट्रल कण्ट्रोल रूम बनाया जाएगा।
Conclusion :
Zojila pass tunnel
जिन लोगों को हिल स्टेशन पर गाड़ी चलाने का शौक है, जो लोग लॉन्ग ड्राइव पर जाते हैं, उन्हें इस जोजिला टनल के बनने के बाद बहुत मजा आने वाला है। वैसे तो हम गाड़ियों की बात करते हैं, गाड़ी चलाने वालों को रास्तों का भी पता होना चाहिए, इसलिए हम बीच बीच में देश में बन रहे एक्सप्रेसवे , टनल, आदि देते रहते हैं। इस सीरीज की अगले चैप्टर में हम दिल्ली-मुंबई के बीच बन रहे एक्सप्रेस वे की लेटेस्ट जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
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